वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Sunday, December 21, 2008

पर छोटा कोई कोना है क्या....

बाज़ी बाकी, रोना है क्या ?
तेरे पास खिलौना है क्या?

उसका चेहरा हीरा मोती
क्या चांदी और सोना है क्या?

कत्थई आँखें , बादल ज़ुल्फ़ें
नज़रें जादू टोना है क्या?

हम तो अंधे खुली आँख के
आगे जाने होना है क्या ?

प्यार नहीं है बिज़नेस प्यारे
इसमें पाना खोना है क्या ?

उसके दिल का कमरा 'बुक' है
पर छोटा कोई 'कोना' है क्या ?

9 comments:

  1. बहुत बढ़िया, बधाई

    ReplyDelete
  2. उसके दिल का कमरा 'बुक' है
    पर छोटा कोई 'कोना' है क्या ?

    बहुत खूब, कम शब्दों में बेहतरीन प्रस्तुति.....
    सचमुच दिल को छूने के काबिल |||
    साधुवाद और स्वागत...

    ReplyDelete
  3. सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें
    खूब लिखें,अच्छा लिखें

    ReplyDelete
  4. आपका स्वागत, लिखते रहें

    ReplyDelete
  5. हम तो अंधे खुली आँख के
    आगे जाने होना है क्या ?
    .. आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लायें
    लाज़बाब बेहतरीन अद्भुत सुब्दर वाह बधाई स्वीकार करें

    ReplyDelete
  6. प्यार नहीं है बिज़नेस प्यारे
    इसमें पाना खोना है क्या ?
    Khub likha hai aapne, Swagat blog parivar aur mere blog par bhi.

    ReplyDelete
  7. महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता
    कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता ।
    कविता शौक से भी लिखने का काम नहीं
    इतनी सस्ती भी नहीं , इतनी बेदाम नहीं ।
    कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,
    मन की भीनी उमंग , मानवीय अहसास है ।
    महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नही हैं कविता
    कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥

    कभी भी कविता विषय की मोहताज़ नहीं
    नयन नीर है कविता, राग -साज़ भी नहीं ।
    कभी कविता किसी अल्हड yauvan का नाज़ है
    कभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज है
    कभी धड़कन तो कभी लहू की रवानी है
    कभी रोटी की , कभी भूख की कहानी है ।
    महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
    कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥

    मुफलिस ज़िस्म का उघडा बदन है कभी
    बेकफन लाश पर चदता हुआ कफ़न है कभी ।
    बेबस इंसान का भीगा हुआ नयन है कभी,
    सर्दीली रात में ठिठुरता हुआ तन है कभी ।
    कविता बहती हुई आंखों में चिपका पीप है ,
    कविता दूर नहीं कहीं, इंसान के समीप हैं ।
    महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
    कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥

    KAVI DEEPAK SHARMA
    http://www.kavideepaksharma.co.in
    http://Shayardeepaksharma.blogspot.com
    Posted by Kavyadhara Team
    All right reserved@Kavi Deepak Sharma

    ReplyDelete
  8. हिन्दी चिठ्ठाविश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, ताकि टिप्पणी देने में कोई बाधा न हो.… धन्यवाद।

    ReplyDelete