वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Saturday, September 17, 2011

एक शेर....

हादसों की मंडियों में; फिर सियासत चल रही है....
ये हुकूमत ठंढ में है; और 'दिल्ली' जल रही है...