चौंक उठना युं हमारे नाम से;
कुछ हवा बदली हुयी है शाम से।
इत्तेफाक़न तो नहीं मिलना है ये;
काम कोई आ पड़ा "नाकाम" से।
मेरे 'अधूरे गीत', उनके लब पे हैं;
लग रहा है डर हमें अंजाम से।
ऐ ग़म-ए-दिल, फिर वही जल्दी न कर;
इस दफा आराम से - आराम से - आराम से।
लाख समझा लें, मना लें दिल को हम;
एक नज़र; और जायेगा ये काम से।
Wednesday, December 10, 2008
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simply beautiful!
ReplyDeleteufffff. . . Divine..
ReplyDeleteमेरे 'अधूरे गीत', उनके लब पे हैं;
ReplyDeleteलग रहा है डर हमें अंजाम से।
bahut hi khoob.....
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