वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Thursday, December 10, 2009

रुबाई -- (३)

इरादा कर के बैठे हैं कि मंज़िल तक पहुंचना है।
हमारे चैन के मग़रूर क़ातिल तक पहुंचना है॥
के हम तो ताक में हैं कब तेरा चश्मा ज़रा उतरे
तेरी आंखों के रस्ते से तेरे दिल तक पहुंचना है॥

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