किसी की शायरी पढ़ के जो तुम छाये तो क्या छाये
मुगन्नी* उस अधूरे गीत को गाये तो क्या गाये॥
अमीरी रंग-ओ-रौनक ले के जलसे में चली आई
गरीबी देखती, फिर सोचती, जाये तो क्या जाये॥
वो बच्ची पिछली कुछ रातों से पानी पी के सोती है
हवेली चुन रही है, व्रत के दिन, खाये तो क्या खाये॥
हमें ये फ़क्र कि हम हक़ से तारे तोड़ लाते हैं
जो सूरज मांग कर आकाश से लाये तो क्या लाये॥
चराग़-ए-इश्क लड़ के बुझ गया; तब नींद से जागे
हमारे दिल पे दस्तक दी तो क्या, आये तो क्या आये॥
*मुगन्नी = गायक
Sunday, August 9, 2009
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वो बच्ची पिछली कुछ रातों से पानी पी के सोती है
ReplyDeleteहवेली चुन रही है, व्रत के दिन, खाये तो क्या खाये
जीवन की कुछ baareek sachhaaiyon से saji है आपकी लाजवाब gazal...........
tum yaar... bus tum ho...
ReplyDeleteapne peetare jab bhee nikalte ho toh moti nikalte ho...
lage raho...
चराग़-ए-इश्क लड़ के बुझ गया; तब नींद से जागे
ReplyDeleteहमारे दिल पे दस्तक दी तो क्या, आये तो क्या आये॥
bahut khoob umda, sabhi sher lajawaab. badhaai.
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
ReplyDeleteरचना गौड़ ‘भारती’
हमें ये फ़क्र कि हम हक़ से तारे तोड़ लाते हैं
ReplyDeleteजो सूरज मांग कर आकाश से लाये तो क्या लाये॥
बहुत खूब ....!!
कमाल लेखन है आपका. जीवन के नाज़ुक दे नाज़ुक लम्हों पर भी आपकी गहरी नजर है.
ReplyDeletewah kya khub likhate hai ... haveli sochati hai vrat men khaye toh kya khaaye ..
ReplyDeleteवो बच्ची पिछली कुछ रातों से पानी पी के सोती है
ReplyDeleteहवेली चुन रही है, व्रत के दिन, खाये तो क्या खाये॥
बहुत खूब ....!!
Your article had provided me with another point of view on this topic. I had absolutely no concept that things can possibly work on this manner as well. Thank you for sharing your opinion
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