थोड़ी बेधड़क; थोड़ी बेहिचक
थोड़े दिन से मैं; फ़िरूँ बावली...
थोड़ी दूरियां; थोड़े फ़ासले
थोड़ा तुम चले; थोड़ा मैं चली...
थोड़े बेख़बर; थोड़े बेफ़िक़र
मेरे ख़्वाब हैं; थोड़े रतजगे...
थोड़ा सोचती; थोड़ा जानती
थोड़ा चाँद क्यों; अच्छा लगे...
थोड़ा चाँद क्यों; अच्छा लगे...
वक़्त से मांगे थोड़े लम्हे, जीने दो; मत रोको ना...
थोड़े प्यार की थोड़ी खुशियाँ, पीने दो; मत रोको ना...
थोड़ी गुनगुनी; सी धूप को
थोड़ा गुनगुनाते; मैं चलूँ...
थोड़ी गुदगुदी; मेरे दिल में क्यों
शाम-ओ-सहर; थोड़ा मैं जलूं...
ये खिड़कियाँ; थोड़ी खोल दो
'चांदनी'; थोड़ा छू मुझे...
थोड़ा जी सकूं; थोड़ा मर मिटूं
थोड़ा प्यार कर; तू यूँ मुझे...
थोड़ा प्यार कर; तू यूँ मुझे...
दिन के ज़ख्मों को रातों को, सीने दो; मत रोको ना...
थोड़े प्यार की थोड़ी खुशियाँ, पीने दो; मत रोको ना...
थोड़े प्यार की थोड़ी खुशियाँ, पीने दो; मत रोको ना...
Wednesday, November 25, 2009
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बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteक्या बात है..विशाल साहब
ReplyDelete..थोड़ा नशा छा गया
..थोड़ा होश आ गया...
बढ़िया गीत!!
ReplyDeletewah wah!! kya baat hai!! Vishal & Gaurav always rock together!! :-)
ReplyDeleteबहुत कि लाजवाब उम्दा गीत है ........ कमाल किया है विशाल गौरव जी ......
ReplyDeleteवक़्त से मांगे थोड़े लम्हे, जीने दो; मत रोको ना...
ReplyDeleteथोड़े प्यार की थोड़ी खुशियाँ, पीने दो; मत रोको ना...
वाह बहुत सुन्दर गीत है शुभकामनायें
Thank You So Much Friends for the Encouraging words....
ReplyDeleteaccha likhte hain aap!!
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