बेवफ़ा कौन है यहाँ; बा-वफ़ाई क्या है ?
बहुत मुश्किल है समझना; 'सच्चाई' क्या है ?
जब दर्द ही सुकून दे और सुकूँ मीठा दर्द दे
चारागर ! भला इस मर्ज़ की दवाई क्या है ?
सवाल ये नहीं कि मोहब्बत की पगार कितनी है
सवाल ये है कि 'उपरी कमाई' क्या है ?
इंतज़ार, इज़हार, इबादत; सब तो किया है मैंने
और कैसे जताऊं; इश्क की गहराई क्या है ?
वो गंगाजल से पाक़ है जो पी के 'काफ़िर' सच कहे
होश में बताओ; शराब में बुराई क्या है ?
आंखों की गोद से निकले तो ता-उम्र यतीम रहे
उन आंसुओं से सुनिए; 'माँ से जुदाई' क्या है ?
Monday, October 5, 2009
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बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना .
ReplyDeleteक्या बात है विशाल साहब..देर आये मगर दुरुस्त आये..बेहतरीन अशआर
ReplyDeleteसवाल ये नहीं कि मोहब्बत की पगार कितनी है
सवाल ये है कि 'उपरी कमाई' क्या है ?
बड़ी नज़ाकत भरी बात कही आपने..एक समंदर से गहराई और एक दरिया सी रवानी होती है आपकी नज्मों मे..कहाँ तक कोई तारीफ़ करे..एक-एक शेर साँचे से ढला हुआ..
आंखों की गोद से निकले तो ता-उम्र यतीम रहे
उन आंसुओं से सुनिए; 'माँ से जुदाई' क्या है ?
बस दिल ले लिया..
wah, आंखों की गोद से निकले तो ता-उम्र यतीम रहे
ReplyDeleteउन आंसुओं से सुनिए; 'माँ से जुदाई' क्या है ?
behatareen rachna, sabhi sher lajawaab, badhaai.
जबरदस्त ...
ReplyDeleteहर एक शेर दमदार ...
har nazm ke saath gahrayee mein utartey ja rahe ho kaafir...
ReplyDeletehum jaantey hain is dard ki wajah kya hai...
Jazbaat saanson ko mazbooti dein to achcha hai...
Aaine se nazrein churaney ki ye sazaa kya hai....
appke gajal ne do pal tharkar padhne ko majboor kar dia. bahut dino baad kisi ke gajal ne dil ko chhua hai.well wishes to u.Go ahead sky is the limit.....
ReplyDeleteSir kitni 'उपरी कमाई' hai.
ReplyDeletepankaj
सवाल ये नहीं कि मोहब्बत की पगार कितनी है
ReplyDeleteसवाल ये है कि 'उपरी कमाई' क्या है ?
bhai kiya baat hai vishal ji kamai to mujhe bhi nahi pata unlimitedddddddddddddddddddd
http://www.logicalsquare.com/images/logo_logical.jpg :::-> Website/Software Development Company
shukr hai, padh ke bahut acha laga, kafi gahri baatein kardi...
ReplyDeleteइंतज़ार, इज़हार, इबादत; सब तो किया है मैंने
और कैसे जताऊं; इश्क की गहराई क्या है ?
and i really like this one:
आंखों की गोद से निकले तो ता-उम्र यतीम रहे
उन आंसुओं से सुनिए; 'माँ से जुदाई' क्या है ?
maa to aisi hai ki din main pachas baar yaad aati hai
base hue chaman ujad gaye yaha pe
ReplyDeleteaadiyo me aisa surur tha
commonwealth ke karche parwan chad gaye
commission khoro ka aisa huzum tha
par ye paisa aaya oor gaya khaha hai
ye jaanne ka sirf PRESS ko junoon tha.
Sachin