वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Saturday, May 15, 2010

हमें साथ ले ले.....

माहो सितारे
हमें साथ ले ले...
उल्फ़त के मारे
हमें साथ ले ले...


हंसाये रुलाये
कोई तो बुलाये
कोई तो पुकारे..
'हमें साथ ले ले'...



पूछे तरन्नुम
गीतों से मेरे
क्यों हो कंवारे?
हमें साथ ले ले...



बोले सुबक कर
काफ़िर नज़ारे;
'काफ़िर; न जा रे'
हमें साथ ले ले...



गुज़रती फ़िज़ा से
गुज़ारिश है गुल की
'हम हैं तुम्हारे..
हमें साथ ले ले'...



हम हैं तुम्हारे
हमें साथ ले ले.....




(माहो सितारे =  moon  and stars)
(उल्फ़त =  love)
(तरन्नुम =  melody)  

6 comments:

  1. बोले सुबक कर
    काफ़िर नज़ारे;
    'काफ़िर; न जा रे'
    हमें साथ ले ले...
    khoobsurat geet

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  2. waah sir...hame to sath le hi liya aapne...

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  3. sundar shabdon ka sateek sanyojan......

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  4. बहुत सुन्दर रचना है ...
    ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी -
    गुज़रती फ़िज़ा से
    गुज़ारिश है गुल की
    'हम हैं तुम्हारे..
    हमें साथ ले ले'...

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  5. कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
    कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
    और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
    फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
    आशा है की आगे भी मुझे असे ही नई पोस्ट पढने को मिलेंगी
    आपका ब्लॉग पसंद आया...इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-



    बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  6. आपका ब्लॉग पसंद आया....
    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    http://pravingullak.blogspot.com/

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