वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Thursday, April 23, 2009

हमेशा जंग में हारे, वो अच्छा आदमी क्यों हो.....


हमारे ख़्वाब की ताबीर पर काई जमी क्यों हो
हमेशा जंग में हारे; वो अच्छा आदमी क्यों हो ?

जिस शहर ने औरत की इज्ज़त बेच खायी हो
उस शहर के राजा का कुरता रेशमी क्यों हो ?

मोहब्बत शर्त पर तो की नहीं जाती मेरे हमदम
मोहब्बत है तो फिर शिद्दत में अब कुछ भी कमी क्यों हो ?

उनको भूले अरसा गुज़रा, मुद्दत बीती आलम जाने
ये उनका जिक्र आते ही तेरी साँसें थमी क्यों हो ?

हमने तय किया ग़ज़लों में अबके आग भर देंगे
फिर मक़ते की बुनियाद पर इतनी नमी क्यों हो ?

13 comments:

  1. उनको भूले अरसा गुज़रा, मुद्दत बीती आलम जाने
    ये उनका जिक्र आते ही तेरी साँसें थमी क्यों हो ?


    --बहुत खूब!! वाह!

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  2. Hard to believe that you work in the Corporate Sector. Aap ek Professional Writer ki tarah likhte hain. Yaqeen nahin kar paa rahi hoon ki writing is not your profession. (Akriti Sharma)

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  3. सुन्दर, अच्चे भाव

    वीनस केसरी

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  4. Ab kya bole?Har baar tarif karna bhi kuch azeeb sa lagta hai... Pritu

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  5. हमारे ख़्वाब की ताबीर पर काई जमी क्यों हो
    हमेशा जंग में हारे; वो अच्छा आदमी क्यों हो ? ****

    जिस शहर ने औरत की इज्ज़त बेच खायी हो
    उस शहर के राजा का कुरता रेशमी क्यों हो ? ****

    मोहब्बत शर्त पर तो की नहीं जाती मेरे हमदम
    मोहब्बत है तो फिर शिद्दत में अब कुछ भी कमी क्यों हो ? *

    उनको भूले अरसा गुज़रा, मुद्दत बीती आलम जाने
    ये उनका जिक्र आते ही तेरी साँसें थमी क्यों हो ?

    हमने तय किया ग़ज़लों में अबके आग भर देंगे
    फिर मक़ते की बुनियाद पर इतनी नमी क्यों हो ? **

    * Fair
    ** Good
    *** V.Good
    **** Excellent
    ***** Exceptional

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  6. waqai taaref ke qabil likha hai aapne.agar aapko waqt mile to mere blog par aayen.
    www.salaamzindadili.blogspot

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  7. उनको भूले अरसा गुज़रा, मुद्दत बीती आलम जाने
    ये उनका जिक्र आते ही तेरी साँसें थमी क्यों हो ?

    ये शेर लाजवाब हैं ..........उम्दा है...........

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  8. लाजवाब शेर*****

    हमने तय किया ग़ज़लों में अबके आग भर देंगे
    फिर मक़ते की बुनियाद पर इतनी नमी क्यों हो ?

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  9. बहुत खूब विशाल भाई वाह!

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  10. मुंहदेखी वाहवाही नहीं करोंगा...भाव बहुत कुछ होता है सब कुछ नहीं. काव्य में भाव, भाषा और शिल्प का समन्वय जरूरी है. आप शिल्प को संवारें तो अच्छी रचनाएँ दे सकेंगी.

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  11. आज आपके ब्लाग पर पहली बार आये। वाह! साहब, आप तो बहुत बढि़या लिखते हैं? ऐसे कम हैं इस ब्लाग की दुनिया में जो इतना अच्छा लिखें।

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