वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Saturday, February 14, 2009

फिर से कर ले प्यार, चल बिंदास हो जा...


फिर से कर ले प्यार, चल बिंदास हो जा

फूल कुम्हलाये तो क्या; गीत मुरझाये तो क्या
पीर मोती बनके ये, आँख छलकाए तो क्या
सूजी पलकों को छुअन से गुदगुदाने
इस दफा भी मीत ना आए तो क्या
तुझको रोता देख बासंती हवा ने
छेड़ दी मल्हार; चल बिंदास हो जा
फिर से कर ले प्यार; चल बिंदास हो जा

घुट के यूँ मरना मना है, प्यार से डरना मना है
दर्द के सिक्कों को चुनके, जेब में भरना मना है
अधखुली इन खिड़कियों की सुन सदायें
ये भी कहतीं शोक अब करना मना है
माज़ी के गोदाम में कब तक चलेगा
क़र्ज़ का व्यापार, चल बिंदास हो जा
फिर से कर ले प्यार, चल बिंदास हो जा

खोल दे फिर दिल का दर, इक दफ़ा फिर इश्क कर
क्या पता 'कैक्टस' के पीछे छुप रहा हो गुलमोहर
जा गले मिल, इश्क का ये ईद है
फूल फिर महकेंगे कहता है सहर
उठ, नए कपड़े पहन, फिर सज रहा है
इश्क का बाज़ार, चल बिंदास हो जा
फिर से कर ले प्यार, चल बिंदास हो जा

फिर से कर ले प्यार, चल बिंदास हो जा....

4 comments:

  1. माज़ी के गोदाम में कब तक चलेगा
    क़र्ज़ का व्यापार, चल बिंदास हो जा.
    bhai gaurav ji,bahut sundar likhte hain aap,aapki pichhli gazal padhkar bhi bahut khushi hui thi or is baar ki rachna ka bhi jawab nahin.
    ye jo aapne "chal bindaas ho ja" ka jis sundar tareeqe se prayog kiya hai ,iski jitnii prashansa kii jaaye kam hai.

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  2. Bahut Bahut shukriya Sanjeev sahab.... Waise ham to aapke us sher ke kaayal ho gaye hain.... "Sanjeev" bada khush tha apne mein......" waah... Jawaab nahiin sir....

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  3. जो इश्क में बिंदास हुए अमर हों गए ,
    ग़ालिब,मजाज़, मीर और दाग हों गए .
    दिल से बिंदास होकर देखिए इश्क में ,कोई ग़म पालिए फिर जमाना याद करेगा.. मक्
    मन बहलाने के लिए youtube पर mastkalandr के uploaded गानों का लुत्फ़ लीजिये.. क्या पता कोई अदभुद कृति, रचना दिल से निकले और मिसाल बनजाये.. mastkalandr

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