बस यूँ ही...
बेवजह...
रूठने को जी करता है
कोई ख़ास झगड़ा तो नहीं हुआ
कोई 'harsh' बात भी नहीं कही तुमने
कल रात तक तो हंस बोल रही थी मैं
फिर भी...
बस यूँ ही...
आज 'coffee' तुम बनाओ...
और शक्कर उतनी; जितनी 'मुझे' पसंद है...
और फिर मुझे 'Long Drive ' पे ले चलो...
बस यूँ ही...
'Shopping' करनी है तो बस करनी है...
क्या हर बात में 'Reasoning' ज़रूरी है?
बस यूँ ही...
किसी नये नाम से पुकारो मुझे
थोड़ा पुचकारो, दुलारो मुझे...
jokes सुनाओ, हंसाओ...
खूब बकबक करो....
जैसे मैं करती हूँ...
जब तुम्हारा मूड ऑफ होता है....
बस यूँ ही...
मैं आज तुम्हें ignore करूंगी
या यूँ कहो
कि ignore करने का नाटक करूंगी
हंसी आएगी तो दांतों से होंठ काट लूंगी....
हाँ यूँ ही....
फिर पूछना मुझसे, 'क्या हुआ'
और मैं कहूँगी 'कुछ नहीं'
और तुम फिर पूछना 'स्वीटी क्या हुआ, बताओ ना'
और मैं मुंह फेर के कहूँगी
'just leave it'
और तुम फिर पूछना...
चलने देना ये सिलसिला
बार बार पूछना
ज़ुल्फ़ों को सहलाते हुये
उँगलियों से गुदगुदाते हुये
और यक़ायक मुझे बांहों में भर लेना...
कहना, 'माय बेबी'...
उफ्फ्फ्फ़...
शायद तुम्हें इल्म नहीं
तुम्हारे ये 'माय' कहना....
कितना मायने रखता है मेरे लिए
मानो एक पल में
दुनिया ख़ूबसूरत हो जाती है....
पता नहीं क्यों...
बस यूँ ही...
एक secret बता दूं तुम्हें?
तुम अज़ीज़ी से संवारो;
टूटती हूँ इसलिये
तुम मनाओ प्यार से मैं
रूठती हूँ इसलिये...
मैं रूठती हूँ इसलिये....
Sunday, January 17, 2010
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abhinaw prayog! angreji shabdon ke inclusion se kawita main
ReplyDeletechuhal ko sahaj prawah mila hai
halke phulke 'mood' ko banaye rakhte huye aapne sahajta se apni baat kahi hai
ReplyDeletemausam hai aashiqana....
ReplyDeletekitna achha lagta hai jab ye sab apne liye sochti hu mai,mujhko ye padhkar laga ki ye mai hi hu jo aap ke is rachana mai jinda hai.
ReplyDeletedil ko chu liya is kavita ne
dikshya risal gupta
sheeroshayari.blogspot.com