बादलों का इक सिरा मैं हाथ में ले
जगमगाती चांदनी को साथ में ले
होंठ पर एक फूल रक्खे और नयन में
जुगनुओं से ख़्वाब को सौगात में ले...
अर्श की दहलीज़ पर तुमसे मिलुंगा
आसमां के पार तुमको ले चलुंगा...
रागिनी और राग की आबाद दुनिया
तितलियों के पंख सी आज़ाद दुनिया
सब सितारे आ गए हैं प्रीत ले के
थरथराते लब पे ताज़े गीत ले के
है हवा बेताब देखो झूमने को
मखमली तलवे को तेरे चूमने को
चाँद लेके हार रस्ते पे खड़ा है
आ भी जाओ कि मुआं ज़िद्दी बड़ा है
कहकशां में गूंजती मल्हार सुन लो
नभ की छाती में धड़कता प्यार; सुन लो....
आओ भी अब रात सजदे में झुकी है
आओ भी कि सांस सीने में रुकी है
क्यूँ परेशां हो कि लौ ये बुझ न जाये
रौशनी से बात मेरी हो चुकी है...
लौ बुझी तो रास्तों पे मैं जलुंगा
आसमां के पार तुमको ले चलुंगा...
आसमां के पार तुमको ले चलुंगा.......
Sunday, January 10, 2010
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बहुत प्रवाहमय सुन्दर गीत!
ReplyDeleteबादलों का इक सिरा मैं हाथ में ले
ReplyDeleteजगमगाती चांदनी को साथ में ले
होंठ पर एक फूल रक्खे और नयन में
जुगनुओं से ख़्वाब को सौगात में ले...
अर्श की दहलीज़ पर तुमसे मिलुंगा
आसमां के पार तुमको ले चलुंगा...in pankatio ko pada,ankhe band kar mahsoos kiya badlo ka ik sira pakdana or asmaan ke paar jane ki pagal ichha rubru huee.रौशनी से बात मेरी हो चुकी है...
लौ बुझी तो रास्तों पे मैं जलुंगाrasto pe jalunga magar asmaa ke paar tumko le chalung..dridh iraadaa hai..
oh I think I have seen first marketing manager with HEART ....................cooporate sector is fully heartless ...anyways very nice
ReplyDeleteHINDI AUR URDU KE SHABDON BAHUT SUNDER PRAYOG KIYA HAI AUR EK ADBHUT/ANUPAM GEET BAN GAYA HAI , DHERON BADHAAI.
ReplyDeleteअच्छी रचना के लिए
ReplyDeleteआभार .................
अगर मधु को सुरा नही सिर्फ़ शहद माने तो कहूँगा कि ब्लॉग जगत पर एक ’मधु’शाला खुली है..’आज जाने की जिद ना करो’ के इसरार के साथ..
ReplyDeleteआपकी हर कविता/गीत/गज़ल मे कुछ पंक्तियाँ घर ले जाने के लिये मिल जाती हैं..होमवर्क जैसी..
चाँद लेके हार रस्ते पे खड़ा है
आ भी जाओ कि मुआं ज़िद्दी बड़ा है
.....
cmnt ki option nahi dikhi,kash ye kavita maine likhi hoti.par aise laga maine hi likhi hai.
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