वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Wednesday, June 24, 2009

अब चाँद तो लाना पड़ेगा ठाकुर...

पायल, गहने, झुमके, गजरे; सब जुर्माना पडेगा ठाकुर
फिर भी गुड़िया रूठी है, अब चाँद तो लाना पड़ेगा ठाकुर॥

हुस्न कटोरी, इश्क का चमचा; चख ली तूने ढेर शहद, क्या
रुत ने पलटी खायी है, अब नीम चबाना पड़ेगा ठाकुर॥

माना तेरी बगिया उजड़ी, माना तितली फुर्र उड़ बैठी
लेकिन उस कोयल की ख़ातिर, बाग़ लगाना पड़ेगा ठाकुर॥

कोई मीत नहीं, कोई प्रीत नहीं, साज़ों पे कोई संगीत नहीं
सावन बीता जाए है; मल्हार तो गाना पड़ेगा ठाकुर॥

जो होना था वो होना था, अब 'होनी' पे क्या रोना था
पर एक दिन तक़दीर पे भारी, एक दिवाना पड़ेगा ठाकुर॥