माहो सितारे
हमें साथ ले ले...
उल्फ़त के मारे
हमें साथ ले ले...
हंसाये रुलाये
कोई तो बुलाये
कोई तो पुकारे..
'हमें साथ ले ले'...
पूछे तरन्नुम
गीतों से मेरे
क्यों हो कंवारे?
हमें साथ ले ले...
बोले सुबक कर
काफ़िर नज़ारे;
'काफ़िर; न जा रे'
हमें साथ ले ले...
गुज़रती फ़िज़ा से
गुज़ारिश है गुल की
'हम हैं तुम्हारे..
हमें साथ ले ले'...
हम हैं तुम्हारे
हमें साथ ले ले.....
(माहो सितारे = moon and stars)
(उल्फ़त = love)
(तरन्नुम = melody)
Saturday, May 15, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बोले सुबक कर
ReplyDeleteकाफ़िर नज़ारे;
'काफ़िर; न जा रे'
हमें साथ ले ले...
khoobsurat geet
waah sir...hame to sath le hi liya aapne...
ReplyDeletesundar shabdon ka sateek sanyojan......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है ...
ReplyDeleteये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी -
गुज़रती फ़िज़ा से
गुज़ारिश है गुल की
'हम हैं तुम्हारे..
हमें साथ ले ले'...
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
ReplyDeleteकुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
आशा है की आगे भी मुझे असे ही नई पोस्ट पढने को मिलेंगी
आपका ब्लॉग पसंद आया...इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
आपका ब्लॉग पसंद आया....
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://pravingullak.blogspot.com/