इन्साफ़ हैरां लफ्ज़ की तक़लीद से है..
ये अदालत तस्दीक़-ओ-तरदीद से है..
सच के हक़ में फ़ैसला जाये तो मानूं
"बाँझ औरत" इस दफ़ा 'उम्मीद से' है.....
तक़लीद = बिना सोचे समझे अनुकरण (follow) करना
तस्दीक़ = सही ठहराना (support करना)
ओ = और
तरदीद = खंडन करना (opposite of तस्दीक़)
Sunday, April 25, 2010
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waah waah antim pankti ne to dil chhoo liya....
ReplyDeleteबहुत अच्छे
ReplyDeletehttp://rajdarbaar.blogspot.com
बहुत सुन्दर रुबाई है !
ReplyDeleteओह हर दफ़ा एक नया तीर ले कर ही आते हैं आप..गो कि आते देर से हैं..
ReplyDeletedidnt get all of wat u have said, sir. however little i have understood wants me to understand more of it .
ReplyDeletebahot khub
ReplyDeletebahut sunder.
ReplyDeletebahot khub misal di aapne banjh aurat aaj umeed se hai.wah
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