परी के किस्से, ग़ज़ल की खुशबू; लहर की थपकी, सहर का जादू
रख आया है शायर सब जज़्बात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
चाँद की चोटी, धूप के गजरे; बंधे 'रिबन' से शाम के नखरे
लटों में उलझी कुदरत की सौगात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
हल्की बूँदें, रात अंधेरी; मद्धम धुन पर, चलती गाड़ी
नज़र मिली उफ़्फ़... 'मेरा बांया हाथ' तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
ज़ुल्फ बादल, ज़ुल्फ झरना; ज़ुल्फ बोली, 'प्यार कर ना'
थिरकी उंगली और ठहरे लम्हात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
ज़ुल्फ बिछाओ, सोयेंगे हम; ज़ुल्फ में छुपकर रोयेंगे हम
सावन देखे बिन बादल बरसात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में......
Thursday, September 10, 2009
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परी के किस्से, ग़ज़ल की खुशबू; लहर की थपकी, सहर का जादू
ReplyDeleteरख आया है शायर सब जज़्बात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
चाँद की चोटी, धूप के गजरे; बंधे 'रिबन' से शाम के नखरे
हल्की बूँदें, रात अंधेरी; मद्धम धुन पर, चलती गाड़ी
नज़र मिली उफ़्फ़... 'मेरा बांया हाथ' तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
थिरकी उंगली और ठहरे लम्हात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
किस-किस पंक्ति की तारीफ़ करूँ..पूरी नज़्म सर से पाँव तलक खूबसूरत है..यही कहूँगा कि ऐसी रचनाएं रोज ना लिखियेगा..हमें डायबिटीज़ हो जायेगी ;-)
अद्भुत..
बहुत खूबसूरत...
ReplyDeletekya baat hai sir..bilcool kaleja nikal diya aaj to aapne...good one
ReplyDeletemaddham dhun pe chalti gaadi jaisa hi khumaar hai is rachna ka ..... haule haule chadhta jaaye aur phir utarne ka naam nahi leta ...
ReplyDeletebehtareen hai janaab!
रचना बेहतर है! आपकी बात कहने का तरीका पसंद आया
ReplyDeleteBahut hi khoobsoorat kavita.Shabdon aur bhavnaon ka achchha prayog.
ReplyDeleteNavnit Nirav
bahut sundar
ReplyDeleteAwesome!!! the lyrical quality and the choice of words is very poetic. The gulzaresque use of english words and the adjectives like javed akhtar r bearing fruits. Truly fantastic!!! Keep up the good work...
ReplyDeleteyasser
bahut khoob , kamaal ki rachna, bahut bahut badhaai. wah vishal,
ReplyDeleteलेखनी प्रभावित करती है.
ReplyDeleteपरी के किस्से, ग़ज़ल की खुशबू; लहर की थपकी, सहर का जादू
ReplyDeleteरख आया है शायर सब जज़्बात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
Bahut khoob.
ज़ुल्फ बादल, ज़ुल्फ झरना; ज़ुल्फ बोली, 'प्यार कर ना'
ReplyDeleteNow thts perfect symmetry.. each and every word has been used to perfection from first to last line.. Sounds good.. feels good.. and tastes good too!! Applause for u Mr Gaurav :)
परी के किस्से, ग़ज़ल की खुशबू; लहर की थपकी, सहर का जादू
ReplyDeleteरख आया है शायर सब जज़्बात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥.....mere pass shabad nahi...shuruaat hi etni khoobsurat hai....bahut achhi post kahun to wo bhi kam hoga...
ज़ुल्फ बिछाओ, सोयेंगे हम; ज़ुल्फ में छुपकर रोयेंगे हम
ReplyDeleteसावन देखे बिन बादल बरसात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
Bahut sundar !
kya kahne...
ReplyDeleteDear Friends,
ReplyDeleteThank You So Much for the encoraging words and appreciation. It means a lot to me.
Regards,
Vishal Gaurav
ज़ुल्फ बिछाओ, सोयेंगे हम; ज़ुल्फ में छुपकर रोयेंगे हम
ReplyDeleteबहुत अच्छे भाई क्या बात है
चाँद की चोटी, धूप के गजरे; बंधे 'रिबन' से शाम के नखरे
ReplyDeleteलटों में उलझी कुदरत की सौगात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ...
SHRANGAAR MEIN DOOBI .... PREM KI SUNDAR ABHIVYAKTI HAI ... LAJAWAAB
kamaal. kamaal kiya hai tum ne gaurav! mujhe yakeen tha ki ik din tum aisi hi kisi rachna se mujhe romaanch se sarabor kar doge. mujhe tum pe phakhr hai. itne khoobsoorat khyaalon ki shaayari ke liye main tumhe hamesha yaad rakhoonga aur ise doston mein bhi sunaaunga. yakeen karo, mujhe apni nazm 'RAAT KI RAAT' ki yaad aayi. shukariya.
ReplyDeleteroomaniyat se bhari khoobsurat abhivyakti !!
ReplyDeleteएक नायाब और अनूठी रचना....
ReplyDelete"नज़र मिली उफ़्फ़... 'मेरा बांया हाथ' तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में" इस मिस्रे पे दिल खोल के मुस्कुराया हूँ इतनी रात गये! बहुत सुंदर!!
हल्की बूँदें, रात अंधेरी; मद्धम धुन पर, चलती गाड़ी
ReplyDeleteनज़र मिली उफ़्फ़...
उफ़्फ़... उफ़्फ़... उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़.....!!
परी के किस्से, ग़ज़ल की खुशबू; लहर की थपकी, सहर का जादू
ReplyDeleteरख आया है शायर सब जज़्बात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में
तुम ही कहो ना, कैसे लिपटी रात तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में ॥
bahut khoob .
Bas ek baar kah do ye mujh pe likhi hai :)
ReplyDeleteविशाल भई..बार-बार आता हूँ आपकी इस बेमिसाल नज़्म को पढ़ने..कई-कई बार..और मिठास कम नही होती है..एक ऐसी नज़्म जिसे रच कर कोई भी रचनाकार खुद पर ताउम्र फ़क्र कर सकता है...उफ़्फ़्फ़्फ़ !!!!!!!!
ReplyDeleteफिर आऊँगा!!
vishal ji
ReplyDeleteitna sunder likhne ke liye sunder man chahiye aur vo aapke pas hai. main to aapka mureed ho gaya.
mahesh priyani