तारों का कोई गुट रहा होगा
चौक पर जो जुट रहा होगा
रंग ओढी अल्पना के पास
नूर का झुरमुट रहा होगा
आतिशफिशां माहौल है कल से
तम का दम तो घुट रहा होगा
चांदनी माहिर है 'पत्तों' में
चाँद पक्का लुट रहा होगा
रात जल के गिर रही होगी
और पर्दा उठ रहा होगा
Saturday, October 17, 2009
Friday, October 9, 2009
ख़्वाब मेरे दीवाने निकले....
ख़्वाब मेरे दीवाने निकले
तूफाँ से टकराने निकले
तोड़ के सिग्नल; मनमौजी से
गीत मिलन के गाने निकले
सलवट करवट छोड़ के सारे
तुझ संग रात बिताने निकले
मेरे तेरे ख़्वाब जुड़े तो
बेसिर-पैर फ़साने निकले
हाथ समझ कर जिनको थामा
वो केवल दस्ताने निकले
खुशी का घर नीलाम हो गया
ग़म के कई ठिकाने निकले
नींद से खटपट तब से मानो
तारे हमें सताने निकले
उनसे बिछड़े मुद्दत गुज़री
आ के कई ज़माने निकले
तूफाँ से टकराने निकले
तोड़ के सिग्नल; मनमौजी से
गीत मिलन के गाने निकले
सलवट करवट छोड़ के सारे
तुझ संग रात बिताने निकले
मेरे तेरे ख़्वाब जुड़े तो
बेसिर-पैर फ़साने निकले
हाथ समझ कर जिनको थामा
वो केवल दस्ताने निकले
खुशी का घर नीलाम हो गया
ग़म के कई ठिकाने निकले
नींद से खटपट तब से मानो
तारे हमें सताने निकले
उनसे बिछड़े मुद्दत गुज़री
आ के कई ज़माने निकले
फिर यादों के पतझड़ में क्यों
फूल मेरे सिरहाने निकले.......
Monday, October 5, 2009
शराब में बुराई क्या है...
बेवफ़ा कौन है यहाँ; बा-वफ़ाई क्या है ?
बहुत मुश्किल है समझना; 'सच्चाई' क्या है ?
जब दर्द ही सुकून दे और सुकूँ मीठा दर्द दे
चारागर ! भला इस मर्ज़ की दवाई क्या है ?
सवाल ये नहीं कि मोहब्बत की पगार कितनी है
सवाल ये है कि 'उपरी कमाई' क्या है ?
इंतज़ार, इज़हार, इबादत; सब तो किया है मैंने
और कैसे जताऊं; इश्क की गहराई क्या है ?
वो गंगाजल से पाक़ है जो पी के 'काफ़िर' सच कहे
होश में बताओ; शराब में बुराई क्या है ?
आंखों की गोद से निकले तो ता-उम्र यतीम रहे
उन आंसुओं से सुनिए; 'माँ से जुदाई' क्या है ?
बहुत मुश्किल है समझना; 'सच्चाई' क्या है ?
जब दर्द ही सुकून दे और सुकूँ मीठा दर्द दे
चारागर ! भला इस मर्ज़ की दवाई क्या है ?
सवाल ये नहीं कि मोहब्बत की पगार कितनी है
सवाल ये है कि 'उपरी कमाई' क्या है ?
इंतज़ार, इज़हार, इबादत; सब तो किया है मैंने
और कैसे जताऊं; इश्क की गहराई क्या है ?
वो गंगाजल से पाक़ है जो पी के 'काफ़िर' सच कहे
होश में बताओ; शराब में बुराई क्या है ?
आंखों की गोद से निकले तो ता-उम्र यतीम रहे
उन आंसुओं से सुनिए; 'माँ से जुदाई' क्या है ?
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