वक़्त की क़ैद में; ज़िन्दगी है मगर... चन्द घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं....

Sunday, November 22, 2009

इक दिन मेरे गीत....

इक दिन मेरे गीत नशा बनके सर चढ़के बोलेंगे...

इक दिन भोर की किरणें भी मेरे गीतों को गायेंगी
इक दिन सूरज सांझ ढले इनको सुनके सुस्तायेगा।
इक दिन रात की कॉपी में होंगे मेरे ही गीत लिखे
इक दिन मौसम आँख चुरा इन गीतों को दोहरायेगा॥
इक दिन मेरे गीत रुतों के राज़-ए-उल्फ़त खोलेंगे
इक दिन मेरे गीत नशा बनके सर चढ़के बोलेंगे...


इक दिन मेरे गीत ग़ज़ल बनके महफ़िल में गूंजेंगे
इक दिन लोरी बन बच्चों के गालों को सहलायेंगे।
इक दिन लावारिस साजों को गीत मेरे ही छत देंगे
इक दिन ठुमरी बन कोठों पे ठाकुर को बहलायेंगे॥
इक दिन सातों सुर बेसुध हो इन गीतों संग हो लेंगे
इक दिन मेरे गीत नशा बनके सर चढ़के बोलेंगे...

इक दिन मेरे गीत बावरे तुम तक भी जा पहुंचेंगे
इक दिन तुमको इनमें अपनी खुशबू भी आ जायेगी।
इक दिन आधी रात को तुम गीतों से प्यास बुझा लेना
इक दिन आधे ख़्वाब इन्हीं गीतों से पास बुलायेगी॥
इक दिन थके इरादे इनको रख सिरहाने सो लेंगे
इक दिन इन गीतों को सुन तुम हंस लेना हम रो लेंगे
इक दिन मेरे गीत नशा बनके सर चढ़के बोलेंगे...

इक दिन मेरे गीत नशा बनके सर चढ़के बोलेंगे...

6 comments:

  1. वाह वाह!! बहुत सुन्दर गीत...निश्चित ही:


    इक दिन मेरे गीत नशा बनके सर चढ़के बोलेंगे...

    आज ही बोल गये/// बहुत शुभकामनाएँ.

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  2. bahut sunder geet . aisi hi rachna mere blog par padhen. swapnyogesh.blogspot.com

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  3. बहुत खूब ......... आमीन ......... इक दिन आपके गीत ............ बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है .......

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  4. इक दिन भोर की किरणें भी मेरे गीतों को गायेंगी
    इक दिन सूरज सांझ ढले इनको सुनके सुस्तायेग॥
    …बहुत खूब् लिखा है आपने

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  5. Achchhi rachna hai....... hamesha Behter hone ki Aas per hi to sub tika hai mere Bhai.

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  6. Thank You So Much Friends for the Encouraging words...

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